
खोया हूं मैं
किस दुनिया में
इन सासों में समाई
तू क्यों है…
बेबसी है
बेदर्दी है
इन आंखों की ख्वाहिशं
तू क्यों है…
मुझको तेरी कमी क्यों
खलने लगी अब
आंखों में मेरी नमी क्यों है?
तुझसे रीश्ता मेरा क्या?
न होना तेरा क्यों
सब होकर भी खलती कमी क्यों है?
खोया हूं मैं
जीस दास्तां में
जिंदगी की वो कहानी
तू क्यों है…
खोया चांद
गुम है सीतारे
ख़ाली रातों में याद आती
तू क्यों है…
मुझको तेरी कमी क्यों
खलने लगी अब
आंखों में मेरी नमी क्यों है?
तुझसे रीश्ता मेरा क्या?
न होना तेरा क्यों
सब होकर भी खलती कमी क्यों है?
नीले गगन में
चेहरा छुपाए
बादलों में झलक आती
तू क्यों है…
कोरा कागज़
एकलौता गवाह हैं
अल्फ़ाज़ो की स्याही
तू क्यों है…
मुझको तेरी कमी क्यों
खलने लगी अब
आंखों में मेरी नमी क्यों है?
तुझसे रीश्ता मेरा क्या?
न होना तेरा क्यों
सब होकर भी खलती कमी क्यों है?
© Danish Sheikh
बहुत सुन्दर..
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Thanks a lot 😊
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