
बेकार की बातें हैं
इकरार की रातें हैं
तुमने भी मुझसे मुहब्बत की होगी,
इनकार न करना तुम।
बेकार की बातें हैं
क्या कसमें, क्या वादे थे
क्या यादों में मेरा जीक्र भी होता?
झुठे थे फंसाने तेरे।
कुछ तो बेगाना लगता हैं
हर पल बेइमाना सा लगता हैं
दो पल हाथ थामे बस चलना तुम,
इतनी-सी ख्वाहिश है, फिर तो ढल जाना हैं।
थोड़ा संभलने दो,
जी थोड़ा भरने दो,
यादों में आंखें अब भी भर आती,
मुझको उभरने दो।
एक सच था माना मैंने
दिल ने नजाना पहले,
ख़ुशीयो के आलम में परख न पाया,
ख्वाबों की दुनिया मेरी।
तुमको फ़र्क ना पड़ा,
जो दिल मेरा टूट गीरा,
क्यों ऐसा तोहफा दिया,
जीने की कुछ दो वजाह।
कैसा हैं यह इम्तहान,
छुकर भी तूं ना मीला,
क्यों बढ़ रहें फासले,
बाकी बस शीकवा-गीला।
बेकार की बातें हैं
हम भी दीवाने हैं,
कुर्बानी तुमने इश्क़ की मांगी;
अदा मैं करता हूं।
बेकार की बातें हैं,
बेकार सी बातें हैं;
तुमने भी मुझसे मुहब्बत की होगी,
बेकार की बातें हैं…
© Danish Sheikh