एक ख्वाब अधूरा जो तुझसे जुड़ा है
जाहा मुझसे खफा रूह, मुझसे जुदा है
जुदाई के धागे उलझना जो चाहे
अश्कों के बादल बरसने लगे हैं।
समझाना चाहूं, पर कैसे मैं समझाऊं
ये ज़िद है जो तेरी, दूर तुझसे हो जाऊं
सुनले मेरी जान, दिल का कहना हैं
कुछ देदे जगह तेरे दिल में रहना है।
ये दिल जो बीखरा हैं, मुझसे कहता है
मनाले उसे तू तुझे क्या पता है
वो रुसवा जो बैंठी ख़ुदा की रज़ा हैं
जो है ख्वाब अधूरा तुटे दिल की सज़ा हैं।
वो दिन लापता हैं, रातें कहा है
तुझ तक ले जाएं वो राहें कहा है
उन राहों का मैं भी मुसाफिर रहा हूं
फिरता तन्हा था, भटका तन्हा हूं।
अपना लें मेरी जान, दिल की दुआ है
जुदाई का आलम ना मुझको सहना है
तू हो पास मेरे तो हो ख्वाब पूरा,
जो तूना मीला तो, ये जीना सज़ा हैं।
© Danish Sheikh